लखनऊ, 24 मार्च अंतर्राष्ट्रीय दिवस “International Day for the Right to the Truth concerning Gross Human Rights Violations and for the Dignity of Victims” के अवसर पर मानवाधिकार जननिगरानी समिति एवं सावित्रीबाई फूले महिला पंचायत, द्वारा वायस ऑफ पीपुल, क्वालिटी इंस्टिट्यूटशनल केयर अल्टरनेटिव फॉर चिल्ड्रेन, के संयुक्त तत्वाधान एवं डिग्निटी – डेनिश इंस्टीट्यूट अगेंस्ट टार्चर के सहयोग से “सरकारी व गैर सरकारी विभिन्न हितधारक संगठनों के साथ महिला अधिकार विषयक संवाद” कार्यक्रम 24 मार्च, 2015 (मंगलवार) को होटल गोमती, हजरतगंज लखनऊ में आयोजित किया गया|
संयुक्तराष्ट्र जनरल असेम्बली द्वारा 21 दिसम्बर 2010 को 24 मार्च को International Day for the Right to the Truth concerning Gross Human Rights Violations and for the Dignity of Victims के रूप में अनुमोदित किया गया| कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए संस्था की मैनेजिंग ट्रस्टी श्रुति नागवंशी ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में महिलाओं को उनके अधिकार एवं सेवाओं को प्रदान करने वाले सरकारी एवं गैर सरकारी हितधारक संगठनों को तकनीकी गतिरोधों,समस्याओं को दूर करना है| इसके साथ ही साथ सरकारी एवं गैर सरकारी हितधारक संगठनों को जोड़कर महिलाओं को उनके अधिकार प्राप्त करने में विभिन्न हितधारक संघठनों को सक्रिय करने में सरकार के साथ सहयोगात्मक प्रक्रिया चलाना है| समाज में लिंग आधारित भेदभाव के मुद्दे पर संस्था के महासचिव डा० लेनिन रघुवंशी ने कहा कि हमारे समाज में ज्यादातर लिंग भेदभाव व हिंसात्मक गतिविधियों की ट्रेनिंग हमें बचपन से ही मर्द होने के रूप में मिलती है | लेकिन राज्य सरकार ने प्रदेश में 2006 से “State Women Policy” बना कर महिलाओं के हित में काफ़ी अच्छा प्रयास किया है| जिसके हर सुझाव को अविलम्ब लागू किया जाना चाहिये|महिलाओ को दबाकर रखने वाली ताकतों के खिलाफ निरंतर सामूहिक संघर्ष करना होगा|प्रदेश सरकार चाहती है कि जो भी सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक संसाधन समाज के पास है|उनका समाज के सभी वर्गों में न्यायपूर्ण पुर्नवितरण पर जोर दिया जाये ताकि महिलाओ को उनमे बराबरी का हक मिल सके|
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुश्री सुमन यादव जी ने कहा कि महिलाओं को समाज में हर जगह चाहे वह परिवार, कार्यस्थल या समुदाय कहीं पर भी हो, महिलाओ को निर्णय लेने,समान अधिकार, शिक्षा, रोजगार का बराबर अवसर मिलना चाहिये| महिलाओं, बच्चों व अल्पसंख्यकों से जुड़े हुए केसों को मानवीय आधार पर संवेदनशीलता से देखने के लिए, महिला व बाल मित्र प्रशासनिक व पुलिसिंग व्यवस्था बनाने हेतू वरीयता अनुसार विभिन्न हितधारक सरकारी व गैर सरकारी संगठनों, संस्थाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये| राज्य बालक संरक्षण आयोग की सदस्य और समाजसेविका सुश्री नाहिद लारी जी ने कहा कि आज समाज में बच्चों व महिलाओं पर यौनिक हिंसा, बलात्कार, सामूहिक अत्याचार की घटनाएं बड़ी तेजी से बढीं हैं| ऐसे में पुलिस विभाग, होम्स, संरक्षण गृह को अधिक ज़िम्मेदार व संवेदनशील बनाया जाना आवश्यक है| जिससे किसी पीड़ित महिला-लड़कियों, बच्चे को समस्या के समय गैर ज़रूरी व अमानवीय प्रश्न पूछकर प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिये| मोहम्मद कमर आलम, चेयरमैन, उत्तर प्रदेश महिला प्रशिक्षण एवं नियंत्रण बोर्ड ने कहाकि हम महिलाओं के साथ उत्पीड़न करीबी लोगो के जरिये ही होता है | लड़िकयों बोझ समझा जाने लगा है, बहुओ बेटी का दर्जा देने में आज भी हमारी सोच संकीर्ण है |
उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के उपाध्यक्ष श्री.सिद्धार्थ सिंह जी ने कहाकि हम देख रहे है कि समाज में जागरूकता का काम एनजीओ बढ़चढ़ कर कर रही हैं किन्तु अभी भी काफी प्रयास किये जाने कि आवश्यकता है | निदेशालय महिला कल्याण चीफ प्रोटेक्शन ऑफिसर श्री. डी. वी. गुप्ता ने कहाकि सरकार महिला एवं बाल विकास कार्यक्रमों के समर्थन में कई योजनाएं संचालित कर रही है जिससे महिला और बाल अधिकारों को संरक्षण की दिशा में काफी बदलाव हुए हैं | स्टेट लीगल सर्विस एथारिटी से उपसचिव श्री. राजेशपति त्रिपाठी ने प्री लीगल सर्विस सेल के सन्दर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि लीगल सर्विस एथारिटी द्वारा महिलाओं को निःशुल्क मदद प्राप्त कर सकती और न्याय और प्राप्त कर सकती हैं | रेडियो कार्यक्रमों के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए महिलाओं को क़ानूनी जागरूकता और शिक्षित होने के लिए प्रेरित किया |
सीनियर मैनेजर डा० राजीव सिंह ने लड़कियों एवं महिलाओं के साथ शिक्षा में भेदभाव के मुद्दे पर गंभीरता से प्रकाश डाला| संस्था के सीनियर मैनेजर अनूप कुमार श्रीवास्तव ने आम समाज में पीड़ितों के साथ पुलिस यातना, पुलिस की कार्यशैली एवं अंग्रेजी तानाशाही कार्य प्रणाली पर काफी गम्भीरता सेअपनी बात रखा| सावित्रीबाई फूले महिला पंचायत की शिरीन शबाना खान ने समाज में बढ़ते बलात्कार एवं यौन उत्पीड़न एवं उसके सामाजिक,सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनैतिक कारणों पर बहुत सूक्ष्मता से प्रकाश डाला और सरकार को गंभीरता से प्रयास करने पर बल दिया| QICAC की राज्य समन्वयक सुश्री विनिका करोली ने महिला गृहों एवं बाल सुधार एवं संरक्षण गृहों में रह रहे बच्चों की स्थिति पर बहुत संवेदनशील अनुभव साझा किया| स्वास्थ्य अधिकार कार्यकर्ता मंगला प्रसाद ने ग्रामीण व पिछड़े अंचलों में ग़रीब महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं पर गहन प्रकाश डाला| समाज में बंधुआ मजदूरों की स्थिति और उनकी समस्याओं पर शिव प्रताप चौबे जी अपनी बात रखी| महिलाओं पर बढ़ते घरेलू हिंसा व पुलिस-थाना में शिकायत में भेदभाव, छेड़छाड़, बलात्कार जैसे विषय पर छाया कुमारी ने बहुत बारीकी से प्रकाश डाला| विदित हो कि समिति राज्य के विभिन्न प्रभावी संस्थानों एवं सरकार के साथ अपनी रिपोर्ट को साझा करेगी| जिससे जमीनी स्थितियों में सकारात्मक बदलाव व सुधार किया जा सके| कार्यक्रम में उoप्र० के विभिन्न जिलों से यातना पीड़ित भी शामिल रहे और अपनी बात रखी | कार्यक्रम में मुख्य रूप से अजय सिंह, पंकज सिंह, ब्रिजेश सिंह, ताहिर, रागिनी, संध्या ,विनोद, विजय, रोहित, होप, हेनरिक शामिल रहे | अंत में कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन कार्यकर्ता इरशाद अहमद ने किया|
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