मानवाधिकार जननिगरानी समिति और समाजकार्य विभाग, काशी विद्यापीठ, वाराणसी के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय (15-16 नवम्बर, 2015) “यातना का अंत-सामूहिक सरोकार” विषयक अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन गाँधी अध्ययन पीठ वाराणसी, उत्तर प्रदेश में किया गया है | जिसमे नेपाल व भारत के उत्तर प्रदेश सहित बिहार, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, मणिपुर, दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक से प्रतिनिधि शामिल हुए |
जिसके बाद आज आखिरी दिन 16 नवम्बर, 2015 को प्रेस वार्ता गाँधी अध्ययन पीठ में आयोजित की गयी जिसको प्रोफ़ेसर अहमद सगीर इनाम शास्त्री, डा० महेंद्र प्रताप सिंह, इतिहासकार, डा0 लेनिन रघुवंशी, महासचिव, मानवाधिकार जननिगरानी समिति, श्रुति नागवंशी, मैनेजिंग ट्रस्टी मानवाधिकार जननिगरानी समिति, ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया, जिसमे दो दिवसीय चले इस सम्मलेन की रिपोर्ट मीडिया के समक्ष रखते हुए बताया कि मानवाधिकार मूल्यों के परिपेक्ष्य में राज्य और आम ग़रीब नागरिकों के बीच बढ़ते अंतर, राज्य द्वारा यातना रोकथाम एवं यातना के स्वरूप के पहचान न होने के कारण पूर्ण उदासीनता स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है | आज यह बात साबित हो गयी है कि किसी समुदाय या वर्ग को प्रभाव व दबाव में लेने के लिए यातना व हिंसा का सहारा लिया जाता है | जिसके फलस्वरूप पीड़ित व समुदाय तनाव, अवसाद, हिंसा, आत्मह्त्या, चिंता व अनिद्रा जैसी भयंकर मनोवैज्ञानिक एवं मनोसामाजिक समस्याओं से जूझता है | समाज के सभी तबके, समुदाय और शिक्षित, बुद्धिजीवी वर्ग में यातना के विभिन्न स्वरूप के रोक थाम के लिए सरकार एवं मानवाधिकार संस्थानों द्वारा अविलम्ब पहल करने की आवश्यकता है |
इस दो दिवसीय संगोष्ठी में बुद्धिजीवियों एवं मानवधिकार कार्यकर्ताओं के द्वारा गहन चिंतन और मनन के बाद इस बात पर जोर दिया कि यातना सिर्फ़ शारीरिक नहीं होती है, बल्कि बहुत ही गंभीर रूप में यह मानसिक, मनोवैज्ञानिक एवं सांवेगिक रूप में होती है | यातना को ख़त्म करने व यातना मुक्त समाज की स्थापना के लिए कई बिन्दुओ पर चर्चा के बाद मुख्य सिफारिशे इस प्रकार रहे -
भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी कन्वेंशन (UNCAT) का अनुमोदन करे, साथ ही जिनेवा कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करते हुए अनुमोदन करे |
राज्य सभा में लम्बित यातना रोकथाम क़ानून को पारित कर लागू किया जाय |
साउथ एशिया ह्युमन राईट्स व्यवस्था (Mechanisim) सार्क के स्तर पर किया जाय |
पुलिस सुधार व जेल सुधार की सिफ़ारिशो को लागू किया जाय |
सभी शिक्षण संस्थानों में मानवाधिकार शिक्षा को एक विषय के रूप में लागू किया जाय |
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले, भारत सरकार की विभिन्न कमेटियो की सिफारिशो एवं अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत आर्म्स फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) गैर कानूनी और अमानवीय है जिस आधार पर भारत के विभिन्न राज्यों में लागू आर्म्स फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) को हटाते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ती इरोम शर्मिला का उपवास अविलम्ब समाप्त कराया जाय |
9 अगस्त 2014 बनारस सम्मलेन में तय किये गए “बनारस घोषणा पत्र” को लागू किया जाय |
संसद में महिलाओ को 33% आरक्षण लागू किया जाय |
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के ह्यूमन राईट डिफेंडर डेस्क को सक्रिय, मजबूत एवं प्रभावी बनाया जाय |
क़ानून के राज के तहत निष्पक्ष, सक्रिय व प्रभावी न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जाय जिससे न्याय व्यवस्था, मानवाधिकार संरक्षण के लिए सम्बंधित संस्थान सक्रिय हो सके |
पीडितो एवं गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने का क़ानून पारित कर लागू किया जाय |
जेल में बन्द ऐसे बंदियों के लिए जिनके जमानतदार एवं जमानत राशि के अभाव में बन्द कैदियों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की सहायता से उन्हें मुक्त कराया जाय |
जेल में महिला बंदी एवं उनके बच्चो को अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण कार्यक्रम सुनिश्चित किया जाय |
भारत - नेपाल के रिश्ते को मानवीय, स्थायी करने के लिए अविलम्ब अति आवश्यक सामग्री यथा राशन, ईंधन, दवा की सप्लाई नेपाल को की जाय |
विस्थापन करने से पूर्व वहां के निवासियों की स्थिति का आकलन व उनकी आवश्यकताओ की पूर्ति करते हुए उनका पुनर्वासन किया जाय |
यातना के रोकथाम व यातना कानूनी पीड़ित के मनोवैज्ञानिक, सामाजिक व पुनर्वासन की योजना भारत सरकार द्वारा शुरू किया जाय |
विदित हो कि जुलाई 2012 में दिल्ली में मानवाधिकार जननिगरानी समिति, यूरोपियन यूनियन और डिग्निटी: डेनिश इंस्टीटयूट अगेंस्ट टार्चर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष माननीय के.जी. बालाकृष्णन जी ने भी भारत सरकार को UNCAT के अविलम्ब अनुमोदन के लिए अपील की थी |
भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार परिषद् की दो यूनिवर्सल पीरियाडिक रिपोर्ट (UPR) रिपोर्ट में यह कहा है की वो UNCAT का अनुमोदन करेगी और तीसरी UPR रिपोर्ट अगले वर्ष से शुरू होने वाली है |
आज की संगोष्ठी के आखिरी सत्र संगठित हिंसा, यातना के खिलाफ विभिन्न अभियानों के सन्दर्भ में चर्चा में प्रमुख रूप से उदय दशरा संस्था, संध्या-शिक्षर प्रशिक्षण संस्थान, प्रोफ़ेसर महेश विक्रम, प्रोफ़ेसर संजय, डा0 भावना वर्मा, डा0 शैला परवीन, डा0 भारती कुरील (महात्मा गांधी काशी विद्या पीठ), संतोष उपाध्याय-बंदी अधिकार आन्दोलन, ओवैस सुल्तान खान, डा0 महेंद्र प्रताप, नम्दीथियु पामेयी, ज्योति स्वरुप पाण्डेय –पूर्व पुलिस महानिदेशक, रागिब अली व डा0 इफ़्तेख़ार खान, शामिल रहे | इस सत्र का संचालन डा0 मोहम्मद आरिफ ने किया |
इस दो दिवसीय चर्चा परिचर्चा से निकले सुझाव का संस्तुति पत्र स्थानीय निकाय, राज्य सरकार व भारत सरकार को भेजा जाएगा और पैरवी किया जायेगा | साथ ही आने वाले चुनाव में इन मुद्दों को हर पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल करने व लागू करने के लिए जन दबाव बनाया जाएगा | इस आशा के साथ कि समाज को यातना मुक्त बनाया जाय और सरकार UNCAT का अनुमोदन जल्द से जल्द करे जिससे समाज का हर व्यक्ति सम्मान के साथ गरिमापूर्ण जीवन यापन कर सके | इसके साथ ही पूरे विश्व में बढ़ रही हिंसा के क्रम में जो हाल में पेरिस, सीरिया, लेबनान व एनी देशो में हुए हिंसात्मक अमानवीय घटना में मारे गए लोगो के लिए 2 मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना के साथ यह भी प्रार्थना किया गया की आगे से ऐसी हिंसक घटनाये न हो |
No comments:
Post a Comment