Thursday 14 August 2014

समावेशी व बहुलतावादी संस्कृति के लिए बनारस कन्वेंशन [मूलगादी कबीर चौरा मठ, वाराणसी] अगस्त 09, 2014

समावेशी व बहुलतावादी संस्कृति के लिए बनारस कन्वेंशन

अंग्रेजी उपनिवेशवाद को भारत से बाहर करने और स्वतंत्रता आन्दोलन के ऐतिहासिक शुभारम्भ के दिन “09 अगस्त क्रान्ति दिवस” पर सांस्कृतिक शहर बनारस में बहुलतावाद एवं समावेशी संस्कृति के मज़बूतीकरण के लिए “बनारस सम्मलेन” का आयोजन बनारस के ‘मूलगादी कबीर मठ’ में किया गया | जिसमे हिन्दुस्तान के विभिन्न शहरों से प्रबुद्ध बुद्धिजीवी, समाजसेवी, पत्रकार, शिक्षाविद समेत उ० प्र० के विभिन्न जिलों से आये डेढ़ हजार प्रतिभागियों ने भाग लिया |


कार्यक्रम का शुभारम्भ बनारस घराने के विख्यात सरोदवादक पं० विकास महाराज एवं तबलावादक पं० प्रभाष महाराज, सितार वादक अभिषेक महाराज के शास्त्री संगीत से हुआ | कबीर के कर्मस्थली रहे कबीर के चबूतरे से बहुलतावाद व समावेशी संस्कृति एवं गंगा के निर्मलता-अविरलता के समर्थन में विभिन्न धर्मों के धार्मिक गुरुओं ने अपना विचार रखा और कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हुए बहुलतावाद व समावेशी संस्कृति को बचाने के लिए अपना पूर्ण समर्थन दिया | ताकि बनारस की साझा संस्कृति को बनाये रखते हुए इसकी ताज़गी व फक्कड़पन को जिन्दा रखा जा सके | 

इस अवसर पर द्वारका पीठ के शंकराचार्य काशी प्रान्त के प्रतिनिधि स्वामी अवमुक्तेश्वरा नन्द जी, मुफ़्ती-ए-शहर बनारस मौलना अब्दुल बातिन नोमानी, वरिष्ठ इस्लामिक चिंतक मौलाना हारून रशीद नक्शबंदी, बौद्ध धर्म गुरु भंते कीर्ति नारायण, बनारस डायोसिस के निदेशक फ़ादर गैब्रील, फ़ादर आनन्द सहित बौद्ध धर्म, जैन धर्म, कबीर व रैदास पंथ के काफ़ी सम्मानित लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया | विभिन्न धर्म गुरुओं ने अपने-अपने धर्म के मतो, विचारों, मान्यताओं व मानवीय मूल्यों के आधार पर समावेशवाद एवं बहुलतावाद विषय पर बहुत बारीकी से प्रकाश डाला एवं गंगा के निर्मलता-अविरलता पर आम समाज व सरकार दोनों को संवेदनशील होकर मज़बूत क़दम उठाने का संयुक्त आह्वान किया | विभिन्न विचारकों ने कहा कि आधुनिक उपभोक्तावाद के समय में भी बनारस के आध्यात्मिक मूल्य व समावेशी विशेषता की महत्ता पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है, जिसके कारण आज भी बनारस अपने फक्कड़पन जीवन शैली के साथ जीवन्त है | इस कार्यक्रम में गंगा व उसकी अन्य सहायक नदियों की दयनीय स्थिति पर भारत के विभिन्न IIT द्वारा किये गए विस्तृत शोध के उपरांत काशी में आयोजित किये गए “काशी कुम्भ” की रिपोर्ट का विभिन्न धार्मिक गुरुओं ने संयुक्त रूप से विमोचन किया |

इस अवसर पर बहुलतावाद एवं समावेशी परम्परा व संस्कृति के लिए उत्कृष्ट कार्य हेतू सुप्रसिद्ध समाजसेवी एवंमानवाधिकार कार्यकत्री सुश्री तीस्ता सीतलवाड़, सुप्रसिद्ध पत्रकार व हिन्दुस्तान पटना के वरिष्ठ सम्पादक डा० तीर विजय सिंह एवं भुवनेश्वर के इकोनॉमिक टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार श्री नागेश्वर पटनायक को “जनमित्र सम्मान” से सम्मानित किया गया | बनारस के बहुलतावाद व समावेशी संस्कृति को शास्त्रीय संगीत के सुरीले धुनों से भारत ही नहीं पुरे विश्व में फ़ैलाने वाले व देश का नाम देश-विदेश में रोशन करने वाले विख्यात सरोदवादक पं० विकास महाराज व उनके पुत्र तबलावादक पं० प्रभाष महाराज कोमानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR) का ‘राजदूत’ बनाते हुए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया |

इस अवसर पर बनारस के कोलअसला क्षेत्र से विधायक अजय राय, रमन मैगसेसे अवार्डी व जलपुरुष राजेन्द्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार डा० तीर विजय सिंह, प्रो० दीपक मलिक, पदमश्री सम्मान से सम्मानित तीस्ता सीतलवाड़ ने भी सभा को संबोधित किया और “सदभावना मैनुअल” का विमोचन किया गया | इसके उपरान्त उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा “बनारस कन्वेंशन”में तय प्रस्ताव को पारित सर्वसम्मति से पारित किया गया |

कार्यक्रम में आशीष मिश्रा व सहयोगियों द्वारा कबीर वाणी में गीत प्रस्तुत किया गया और प्रेरणा कला मंच द्वारा “गंगा हो या गांगी” शीर्षक नाटक का संवेदनशील मंचन किया गया | सुप्रसिद्ध वृत्तचित्र निर्माता व निदेशक गोपाल मेनन की मुज्जफ़रनगर दंगे पर वृत्तचित्र का प्रदर्शन व उस पर लोक विधालय चलाया गया एवं पूरे कार्यक्रम का वीडियो डाक्युमेंटेशन किया गया| कार्यक्रम के अंत में सम्मलेन के समापन के बाद कबीरचौरा मठ से लहुराबीर आजाद पार्क तक “कबीर पद यात्रा” भी निकली गयी |


कन्वेंशन का संचालन सुप्रसिद्ध रंगकर्मी व्योमेश शुक्ला व समाजसेवी अतिक अंसारी द्वारा किया गया | इस अवसर पर बनारस कन्वेंशन कार्यक्रम के उद्देश्य व विषय वस्तु पर डा० लेनिन रघुवंशी ने विस्तृत प्रकाश डाला और उन्होंने कहा कि हम लोग मिलजुल कर “बनारस शहर व उसकी संस्कृति” को हेरिटेज़ घोषित कराये जाने के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार सरकार व यूनेस्को पर दबाव डालते रहेंगे | इसके लिए एक वेबसाइट “banarasconvention.com”एवं फेसबुक पेज बनाया जाएगा | कार्यक्रम में स्वागत भाषण मुनीज़ा रफ़ीक खान एवं धन्यवाद ज्ञापन श्रुति नागवंशी ने किया |


कार्यक्रम के आयोजन मण्डल में प्रो० दीपक मलिक, प्रो० शाहिना रिज़वी, डा० लेनिन, वल्लभाचार्य पाण्डेय, अशोक आनन्द, व्योमेश शुक्ला, अतीक अंसारी, श्रुति नागवंशी, डा० मोहम्मद आरिफ़, मुनीज़ा रफ़ीक खान, सिद्दीक़ हसन, इदरीश अंसारी, महताब अहमद शामिल हैं| 
































































































Photo by: Rohit Kumar as initiative of PVCHR: life and struggle of Neo Dalit Movement through camera of born Dalit against caste system

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